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लेखनी कहानी -06-May-2022

आ चल मेरे मन चलें कहीं

दूर क्षितिज की ओर कहीं

आ चल पीपल
की छाया में
चल कर बैठें
कुछ बात करें
कुछ मेरी कहूँ
कुछ तेरी सुनें
अपने साझा जज्बात करें

इतना ज्यादा हम दुनिया की
बातों से यूं मजबूर हुए
अरसा बीता अपने 
ही मन से दूर हुए

जब कोई नहीं समझता था
तब तुमको ही समझाता था
जब कोई नहीं मानता था
तब तुमको ही तो मनाता था

तुमने सपने दिखलाए
आस जगाई, राह दिखाई
पर उन सपनों के पीछे मैंने
तुमको ही ठेस लगाई

अब छोड़ जगत की माया को 
चल एक दूजे की बात करें
आ चल पीपल की छाया में
चलकर बैठें कुछ बात करें





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19 Comments

Anam ansari

07-May-2022 07:25 PM

👌👌👌

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Anshumandwivedi426

07-May-2022 09:57 PM

कोटिशः धन्यवाद

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Neha syed

07-May-2022 07:00 PM

बहुत अच्छा लिखा है

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Anshumandwivedi426

07-May-2022 09:57 PM

आपकी टिप्पणी कविता से भी अच्छी है सादर धन्यवाद

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Farida

07-May-2022 05:48 PM

Very nice

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Anshumandwivedi426

07-May-2022 09:58 PM

सहृदय धन्यवाद

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